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हे ईश्वर मुझे बता,
मैं कौन हूँ ज़ारा सिखा..
हिन्दू हूँ? मुसलमान हूँ?
है दिल भरा-भरा सिखा..
क्या मैं नहीं इंसान हूँ?
ना और के समान हूँ?
क्या सच मैं बे-ईमान हूँ?
हूँ कुछ डरा-डरा सिखा..
मैं ब्रह्म-शूद्र-वैश्य हूँ,
मुझे लगा मनुष्य हूँ..
तू अब तो ये सलाह दे,
मन है घिरा-घिरा सिखा..
मैं कौन हूँ, शाह हूँ, ज़ैदी हूँ,
या सैनी हूँ, या बेदी हूँ..
मैं किस धर्म का क़ैदी हूँ?
मुझे खरा-खरा सिखा..
क्या इश्क़ अब अधर्म है?
ना अब रहा ये कर्म है?
जवाब दे सवाल पे,
ये घाव हरा-हरा सिखा..
हे ईश्वर मुझे बता,
मैं कौन हूँ ज़ारा सिखा..
हिन्दू हूँ? मुसलमान हूँ?
है दिल भरा-भरा सिखा..
-मृदुल
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