एक अधूरी तलाश's image
Poetry1 min read

एक अधूरी तलाश

mayank sahumayank sahu June 19, 2022
Share0 Bookmarks 57078 Reads0 Likes

बुलबुला ही तो हूं

हर क्षण अनंतर

बहती अविरल

जीवन गंगा का

लेकर उभरा रंग

रूप अनगिनत

बहता चालू अध्वंगा सा


है वर्षों की ये काल यात्रा

उस सागर की तलाश में,

हूं अतृप्त, और जो पूरी

कर दे प्यास एक श्वास में


मेरा होना ही प्यास है,

दुख है , संघर्ष है ,

सुख की झुटी आस है

इस यात्रा में अर्जित भले

या बुरे सब संस्कार पास है

कलकत्ता व

Send Gift

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts