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बहुत प्सासे लोग हैं कतरा भर से मचल गए

मारूफ आलममारूफ आलम August 31, 2021
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रास्तों के बवंडर कुछ इस तरह उछल गए

जिनकी जद मे आकर काफिले कुचल गए


बुतों की नक्काशियां भी छुपा न सकी उन्हें

बेहरूपिये रूप मे कुछ देर रहे,फिर ढल गए


उन्हीं की आमद से हरम की राते बदल गईं

उन्ही की आमद से हरम के दिन बदल गए


तुझे देखकर यादों की कुछ ऐसी हुड़क उठी

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