नाइंसाफी's image
Share0 Bookmarks 221274 Reads0 Likes

चलता रहा ख्वाबों का कारवां, कि

बंदिशों से परे कहीं तो नूर होगा,

वाह रे खुदा जिस्म को साए की भी संगत न थी।

सुरमई भी छुप गई कहीं चिलमन में,

रौशनी को कायनात की भी बरकत न थी।

करता रहा चिराग से रौशन , कि

अंजान सफर में कहीं तो किन

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts