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सीधी सादी बात को मरोड़ कर
कुछ लिख दूँ
ठीक है,
पर ठहराव कहां से लाऊँ।
बात से बात जोड़ता जाऊँ
पर इंकलाब कहा से लाऊँ।
कुछ लिखने का मकसद क्या है?
सोच को ढोने की जिम्मेदारी है?
कोई बेचैनी है?
बीड़ा उठाया है कोई?
शब्द ही शब्द हैं मेरे पास
क्या सुनोगे तुम
ये एहसास कहाँ से लाऊँ?
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