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कहकर कितना कह पाऊंगा।
जता सकूंगा कैसे तुमको
सब कुछ जो मेरे मन में है,
मैं कैसे बोलूंगा वो जो
खुद को ही ना समझा पाया।
कैसे ढूंढूंगा मैं शब्दों को?
कैसे सब कुछ सुलझा दूंगा?
कितना तुम मेरे मन में हो,
कैसे तुमको मैं जीता हूँ,
हर पल आँखों में भरकर तुमको
कैसे मैं सपने बुनता हूँ,
कैसे मेरी यादों में तुम
हरदम हँसती गाती रहती हो
कितना प्यार तुम्हे करता हूँ,
कैसे तुमको समझा दूंगा।
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