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तुम धारा नदी की बन जाओ

KAVI MANOJ PRAVEENKAVI MANOJ PRAVEEN July 9, 2022
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"बनकर बहार इस जीवन की
तुम मेरे अंतर्मन में छा जाओ
मैं दरिया का साहिल बन जाऊं
तुम धारा नदी की बन जाओ।"

        (1)

"रात आधी ढ़ल चुकी
जग रहे अरमान है
मौजे गिर उठ मचल रहीं
कोई आ रहा तूफान है
साहिल बुला रहा लहरों को
और मुझे अब मत तड़पाओ।"

"बनकर बहार इस जीवन की
तुम मेरे अंतर्मन में छा जाओ-----

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