तुम धारा नदी की बन जाओ's image
Poetry1 min read

तुम धारा नदी की बन जाओ

KAVI MANOJ PRAVEENKAVI MANOJ PRAVEEN July 9, 2022
Share0 Bookmarks 192 Reads3 Likes
"बनकर बहार इस जीवन की
तुम मेरे अंतर्मन में छा जाओ
मैं दरिया का साहिल बन जाऊं
तुम धारा नदी की बन जाओ।"

        (1)

"रात आधी ढ़ल चुकी
जग रहे अरमान है
मौजे गिर उठ मचल रहीं
कोई आ रहा तूफान है
साहिल बुला रहा लहरों को
और मुझे अब मत तड़पाओ।"

"बनकर बहार इस जीवन की
तुम मेरे अंतर्मन में छा जाओ-----

            (2)

"जीवन रूपी इस सागर में
भंवर कभी कोई आ जाए
डरना मत भंवर से कह देना
जाकर साहिल से टकरा जाए
मेरे प्यार की इस गहराई को
नित नित तुम और बढ़ा जाओ।"

"बनकर बहार इस जीवन की
तुम मेरे अंतर्मन में छा जाओ-----

              * मनोज मिश्र *

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts