अगर तुम साथ में होते
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अगर तुम साथ में होते Agar tum sath me hote

KAVI MANOJ PRAVEENKAVI MANOJ PRAVEEN May 29, 2022
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बिछड़ कर तुमसे ऐ हमदम
न यूं दिन रात हम रोते
मेरी महफिल भी सज जाती
अगर तुम साथ में होते

मैं पतझड़ हूं बहारों का
यहां यहां वीरानियां बसती
अंधेरों से घिरा जीवन
यहां सुबह नहीं होती
अंधेरे छंट गए होते 
अगर तुम साथ में होते

बदलते हैं सदा मौसम
नजारे भी बदलते हैं
सितारे मेरी किस्मत के
सदा गर्दिश में रहते हैं
सितारे भी बदल जाते
अगर तुम साथ में होते हैं

बिछड़ कर तुमसे ऐ हमदम
न यूं दिन रात हम रोते

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