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चलो, यार चलो चाय पीते हैं।
किसके घर, या फिर चलो कहीं खड़े होकर पीते हैं ।
दोस्त भी चाय की तरह होते हैं।
एक भी कम हो तो मजा नहीं आता ।
कोई पत्ती की तरह रंग देता है ।
तो कोई शक्कर की तरह मिठास ।
तो कोई पानी की तरह बेरंग ,
तो किसी से दूध जैसी आस ।।
कोई अदरक सा कड़वाहट लिए, लेकिन गुणकारी होता है ।
तो कोई तुलसी सा आदरणीय ,और उपयोगी होता है ।
कोई इलायची सा, जो कड़वे मुंह का भी स्वाद बदल देता है।
किसके घर, या फिर चलो कहीं खड़े होकर पीते हैं ।
दोस्त भी चाय की तरह होते हैं।
एक भी कम हो तो मजा नहीं आता ।
कोई पत्ती की तरह रंग देता है ।
तो कोई शक्कर की तरह मिठास ।
तो कोई पानी की तरह बेरंग ,
तो किसी से दूध जैसी आस ।।
कोई अदरक सा कड़वाहट लिए, लेकिन गुणकारी होता है ।
तो कोई तुलसी सा आदरणीय ,और उपयोगी होता है ।
कोई इलायची सा, जो कड़वे मुंह का भी स्वाद बदल देता है।
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