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ये चाँदनी रात
तारों की बारात
रोज़ नहीं होती
ये गरजती बौछार
झूमती बरसात
रोज़ नहीं होती
ये बोझिल हालात
दर्द की सौगात
रोज नहीं होती
चल सबके साथ
बिछा अपनी बिसात
जंग रोज नहीं होती।
मं शर्मा (रज़ा)
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