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जीवन से श्वास बंधी है
साँसों से जीवन चलता है
एक-दूजे के पूरक हैं ये
संग संग गुजारा होता है
बंधन से संबंध जुड़े हैं
संबंधों से समाज बनता है
बिन अपनों के जीना भी
सजा सरीखा लगता है ।
मं शर्मा( रज़ा)
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