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हताश है निराश है

छोड़ बैठा प्रयास है

खुद पर भरोसा नहीं

जाने किससे आस है


समर्थ है यकीन कर

ज़ोर से प्रहार कर

भूलकर जीत हार को

बस सतत प्रयास कर।



मं शर्मा (रज़ा)

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