वैरागी मन's image
Share0 Bookmarks 12 Reads0 Likes

मन बैरागी हुआ है

एकांतवासी हुआ है

पंछी संग उड़ते उड़ते

क्षितिज के पार गया है


न जाने कब लौटना हो

शायद फिर कभी न हो

थामे रखना उन धागों को

जिन्हें बाँध के उड़ गया है।


मं शर्मा( रज़ा)


No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts