उषा काल's image
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मिट गए अंधेरे

ख्वाबों के फेरे

शबनम से नहाके

भोर ने दर खोला है


उषा की बेला है

स्वर्णिम सवेरा है

अलौकिक सौन्दर्य

चहुँओर बिखेरा है।



मं शर्मा( रज़ा)

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