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प्रश्न निरूत्तर करने लगें जब
समय आईना दिखाने लगे
तुम चले आना जब कभी
जिंदगी हिसाब मांगने लगे
मैं वहीं हूँ जहाँ तुमने छोड़ा
लौटने की राह देखता हुआ
झाँक कर देख मन मंदिर में
आस्था बन मैं स्थापित रहा।
मं शर्मा (रज़ा)
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