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बारिश हुई तो थी
ढंग से बरसी नहीं
प्यास गहरी बहुत थी
तृष्णा मरी नहीं
जीवन जीना तो था
ढंग से जीया नहीं
जिंदगी छोटी बहुत थी
आधी अधूरी जीयी ।
मं शर्मा (रज़ा)
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बारिश हुई तो थी
ढंग से बरसी नहीं
प्यास गहरी बहुत थी
तृष्णा मरी नहीं
जीवन जीना तो था
ढंग से जीया नहीं
जिंदगी छोटी बहुत थी
आधी अधूरी जीयी ।
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