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बिखरा जीवन है
तनिक समेट लूँ
जो रूठ गये थे
उन्हें मना लूँ
बेहिसाब यादें हैं
तनिक सहेज लूँ
जो छोड़ गये हैं
उन्हें भुला दूँ ।
मं शर्मा (रज़ा)
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बिखरा जीवन है
तनिक समेट लूँ
जो रूठ गये थे
उन्हें मना लूँ
बेहिसाब यादें हैं
तनिक सहेज लूँ
जो छोड़ गये हैं
उन्हें भुला दूँ ।
मं शर्मा (रज़ा)
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