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कौन आएगा यहाँ कौन हीआता है
मेरे दरवाज़े पे तन्हाई का पहरा रहता है
खुली हो खिड़की दूर तक दिखाई देता है
राह पर आते जाते का पता देता है
इजाजत न हो जिनको भीतर आने की
वो भी खिड़की से दाखिल हो लेता है।
मं शर्मा (रज़ा)
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