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आज को कल से शिकायत
प्यास को जल से शिकायत
धरती को सूरज से शिकायत
जीवन को मृत्यु से शिकायत
याचक को दाता से शिकायत
स्वपन को हताशा से शिकायत
शिकायतों का हुजूम खड़ा है
किससे करूँ इनकी शिकायत।
मं शर्मा (रज़ा)
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