
Share0 Bookmarks 5 Reads0 Likes
सपने इंतज़ार करते रहे
पलकों की दहलीज़ पर
कोई रात ही न आई
सुकून की नींदों वाली ।
मं शर्मा (रज़ा)
No posts
No posts
No posts
No posts
सपने इंतज़ार करते रहे
पलकों की दहलीज़ पर
कोई रात ही न आई
सुकून की नींदों वाली ।
मं शर्मा (रज़ा)
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments