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शब्दों से खेलता हूँ मैं
शब्दों से बोलता हूँ
शब्दों को तराश कर
रोज़ नया रचता हूँ
नस नस में शब्द डोलते हैं
शब्दों में मैं बसा हूँ
शब्दों से है वजूद मेरा
निशब्द हुआ तो मुर्दा हूँ।
मं शर्मा( रज़ा)
#स्वरचित
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