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दुनिया रची
इंसान गढ़ा
जीने का
सामान मिला
थोड़ी खुशियाँ
थोड़े ग़म
अपनों का साथ
वरदान मिला
तुमसे है राब्ता
तुम्ही से वास्ता
तेरी इनायत है
सब कुछ मिला ।
मं शर्मा (रज़ा)
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दुनिया रची
इंसान गढ़ा
जीने का
सामान मिला
थोड़ी खुशियाँ
थोड़े ग़म
अपनों का साथ
वरदान मिला
तुमसे है राब्ता
तुम्ही से वास्ता
तेरी इनायत है
सब कुछ मिला ।
मं शर्मा (रज़ा)
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