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जन्म में मरण में
जीत के जश्न में
प्रणय निवेदन में
आनंद के क्षणों में
हर जगह विद्यमान हूँ
श्रंगार प्रयोजन में
पर्वों के आयोजन में
आदर अभिवादन में
प्रकृति नियोजन में
तत्पर विद्यमान हूँ
प्रभु के चरणों में
जपतप के कर्मो में
फल की आशा में
इष्ट की अभिलाषा में
पुष्प बन विद्यमान हूँ।
मं शर्मा (रज़ा)
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