पैग़ाम's image
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तुम कहते रहे काफिर मुझको

मुहब्बत को मैं खुदा कह रहा था

जाने किस बात पर बहस छिड़ीथी

मुहब्बत का मैं पैगाम दे रहा था।



मं शर्मा (रज़ा)

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