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हरी भरी वसुंधरा पर
चमचमाती हुई शबनम
मानो किसी नवयौवना के
आँचल में टँके रजत कण
कुछ पल है श्रंगार धरा का
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हरी भरी वसुंधरा पर
चमचमाती हुई शबनम
मानो किसी नवयौवना के
आँचल में टँके रजत कण
कुछ पल है श्रंगार धरा का
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