
Share0 Bookmarks 9 Reads0 Likes
कुनमुनी सी धूप का
ठिठुरती हुई रातों का
सर्द महीना गुज़र रहा है
एक और साल नया
अब दस्तक दे रहा है
कुछ साथी खो रहे
कुछ नए साथी मिले
खोने पाने के खेल में
समय का बेखौफ परिंदा
हवा बन के उड़ गया।
मं शर्मा (रज़ा)
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments