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मुस्कुराता हूँ कि
जिंदा दिखूँ
उदास रह कर
मुर्दा नहीं दिखना है
ठोकरें मंजूर हैं
मिला करें
हमदर्दी का दिखावा
नहीं सहना है ।
मं शर्मा( रज़ा)
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मुस्कुराता हूँ कि
जिंदा दिखूँ
उदास रह कर
मुर्दा नहीं दिखना है
ठोकरें मंजूर हैं
मिला करें
हमदर्दी का दिखावा
नहीं सहना है ।
मं शर्मा( रज़ा)
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