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इश्क सज़ा है कहते सुना है

चलो ये गुनाह कर देखते हैं

इश्क जीने ना देगा ना सही

इश्क में मर कर देखते हैं


खाक ही खाक है हर तरफ

आज खाक होकर देखते हैं

मिट कर ही आए है करार

आज मिसाल बनके देखते हैं।


म शर्मा (रज़ा)

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