
Share0 Bookmarks 12 Reads0 Likes
झूमती हवाओं से
घिरती घटाओं से
डगमगाती नावों से
कुछ कहना था
उड़ती पतंगों से
उठती तरंगों से
मन की उमंगों से
कुछ कहना था
अनकही बातों को
मेरे जजबातों को
तुम ही समझ लो
मुझे ये कहना था।
मं शर्मा( रज़ा)
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments