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कभी विवाह निमंत्रण

कभी शोक समाचार है

जीत का प्रमाण कभी

दंड का फरमान है


हल्केपन का सानी नहीं

पतंग जैसी परवाज़ है

नोट बनके छ्प जाए तो

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