कलपुर्जा's image
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चेहरा एक मुखौटा है

व्यक्तित्व चेहरे के पीछे है

भाषा केवल शाब्दिक है

अहसास मन के भीतर है


तन तो एक कलपुर्जा है

चलाने वाली साँसें हैं

देह मात्र मिट्टी का खिलौना

इंसान बनाती रूहें हैं।


मं शर्मा( रज़ा)

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