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जीवन-मरण के फेर में
जीवन जीना क्यों भूल गए
पाप पुण्य की चिंता में
कर्म करना क्यों भूल गए
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जीवन-मरण के फेर में
जीवन जीना क्यों भूल गए
पाप पुण्य की चिंता में
कर्म करना क्यों भूल गए
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