
Share0 Bookmarks 7 Reads0 Likes
मलय सुवासित
पुलकित मन
अंग अंग में
मीठी चुभन
है रोम रोम
सुरभित तन
मन उपवन में
खिले सुमन
धरती ने धारे
सिंदूरी वसन
पंछी उन्मुक्त
पहुँचे गगन
शिशु खोल रहे
अलसित नयन
घर लौटो प्रिय
करके जतन।
मं शर्मा (रज़ा)
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments