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गुज़रा कल है

लौट के न आएगा

कट रही है

ज़िंदगी

उसके इंतज़ार में


बिगड़ी बात है

बनने न पाएगी

सिसक रही है

उम्मीद

उसके इंतज़ार में।


मं शर्मा (रज़ा)

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