
Share0 Bookmarks 9 Reads0 Likes
मौसम आते जाते रहते हैं
पर पहले सा खुमार नहीं
फूल खिले गुलशन गुलशन
पर खुशबू का अंबार नहीं
कदम जब लड़खड़ाने लगे
रहा खुद पे भी ऐतबार नहीं
तुमसे किसने ये कह दिया
मुझे अब तेरा इंतज़ार नहीं।
मं शर्मा (रज़ा)
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments