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मौसम आते जाते रहते हैं
पर पहले सा खुमार नहीं
फूल खिले गुलशन गुलशन
पर खुशबू का अंबार नहीं
कदम जब लड़खड़ाने लगे
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मौसम आते जाते रहते हैं
पर पहले सा खुमार नहीं
फूल खिले गुलशन गुलशन
पर खुशबू का अंबार नहीं
कदम जब लड़खड़ाने लगे
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