
Share0 Bookmarks 9 Reads0 Likes
सुख में थे साथ सभी
दुख में किया किनारा था
पीछे मुड़ कर देखा मैंने
साथ मेरे ना साया था
दोस्त दोस्ती की बातें अब
कहानियों तक ही रह गईं
अब कहाँ यारी कान्हा सी
मित्र सुदामा संग निभ गई ।
मं शर्मा( रज़ा)
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments