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कितना धैर्य धर ती है धरती
कितनों का बोझ उठाती है
कितना व्याकुल हैआसमां
यूँ ही गरजा बरसा करता है
ज़मीं-आसमां मिलकर दोनों<
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कितना धैर्य धर ती है धरती
कितनों का बोझ उठाती है
कितना व्याकुल हैआसमां
यूँ ही गरजा बरसा करता है
ज़मीं-आसमां मिलकर दोनों<
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