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आ बैठ मेरे पास तू
दूर कर अब दूरियां
फासले दरमियां रहें
ऐसी क्या मजबूरियाँ
कब से तेरे दर पे बैठा
कर रहा हूँ चिरौरियाँ
एक बार दरस देकर
करा दिव्य अनुभूतियाँ।
मं शर्मा (रज़ा)
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आ बैठ मेरे पास तू
दूर कर अब दूरियां
फासले दरमियां रहें
ऐसी क्या मजबूरियाँ
कब से तेरे दर पे बैठा
कर रहा हूँ चिरौरियाँ
एक बार दरस देकर
करा दिव्य अनुभूतियाँ।
मं शर्मा (रज़ा)
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