चाँद के पार's image
Share0 Bookmarks 11 Reads0 Likes

साँझ सोई रात ओढ़कर

जुगनू चमके तारे होकर

आसमां पे रख गया कोई

चाँद सी एक रोटी बेल कर 


मैं न कहता था तुमसे

यही होता है यहाँ अक्सर

चाँद के पार कोई रहता है

तुमसे मुझसे सबसे छिपकर ।



मं शर्मा( रज़ा)


No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts