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साँझ सो गई रात ओढ़कर
जुगनू चमक रहे तारे होकर
फिर आसमां पे रख गया कोई
चाँद सी एक रोटी बेल कर ।
मं शर्मा (रज़ा)
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साँझ सो गई रात ओढ़कर
जुगनू चमक रहे तारे होकर
फिर आसमां पे रख गया कोई
चाँद सी एक रोटी बेल कर ।
मं शर्मा (रज़ा)
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