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कभी बिछड़े न
किसी से अपना कोई
बड़ी मुश्किल से
मिलने के संजोग होते हैं
आज बिछड़े हैं जो
कल मिलें शायद
इसी भरोसे से
लोग बिछड़ते हैं ।
मं शर्मा (रज़ा)
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कभी बिछड़े न
किसी से अपना कोई
बड़ी मुश्किल से
मिलने के संजोग होते हैं
आज बिछड़े हैं जो
कल मिलें शायद
इसी भरोसे से
लोग बिछड़ते हैं ।
मं शर्मा (रज़ा)
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