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जिंदगी से प्यार क्या

बेवफा का इंतज़ार क्या

तोड़ दिया भरोसा जिसने

उसका ऐतबार क्या


चाहा दिलोजान से

वफा क्यों न कर सकी

चार दिन का वादा कर

दो दिन में चल पड़ी।


मं शर्मा( रज़ा)

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