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शांत झील के पानी में
यूँ उठने लगी हैं तरंगें
मानों शोख तितलियाँ
गुलों पर मंडराने लगी हैं
थोड़ी देर में सूरज से
बिखरने लगेगा सोना
झिलमिलाती झील में
सुनहरी बरसात होगी।
मं शर्मा (रज़ा)
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