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कभी अठखेलियाँ करती तरंग लगी
कभी थरथराती लौ की मानिंद लगी
रोशनी से जगमगाती इमारत कभी
बिलखते मासूम बाल
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कभी अठखेलियाँ करती तरंग लगी
कभी थरथराती लौ की मानिंद लगी
रोशनी से जगमगाती इमारत कभी
बिलखते मासूम बाल
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