अठखेलियाँ's image
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कभी अठखेलियाँ करती तरंग लगी

कभी थरथराती लौ की मानिंद लगी

रोशनी से जगमगाती इमारत कभी

बिलखते मासूम बालक सी लगी

जिंदगी आखिर तेरी हकीकत क्या थी

क्यों घड़ी घड़ी रंग बदलती मिली ।


मं शर्मा (रज़ा)

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