
Share0 Bookmarks 9 Reads0 Likes
तिनका तिनका जोड़ कर
तन का पसीना बहा कर
मन में पाले हैं कुछ सपने
अपने आशियाँ को लेकर
हौसले की दीवारें हों उसकी
अपनेपन की खिड़कियाँ
संस्कारों की छत को तकते
चाँद सितारे भी लें बलइयाँ।
मं शर्मा (रज़ा)
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments