
Share0 Bookmarks 11 Reads0 Likes
तू ही तो है रब मेरा
जीने का सबब मेरा
तू ही इबादत है मेरी
तू ही आसरा मेरा
तुझी से इश्क है मुझे
तुझी से है वास्ता मेरा
किसी और दर पे जाऊँ क्यों
तेरे प्यार का मुझे आसरा।
मं शर्मा( रज़ा)
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments