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जो लबों तक न आ सकी
दिल की दिल में ही रही
उन अनकही बातों के
जवाबों की राह देखते रहे
वो दिन जो कभी लौटे नहीं
वो पल जो कभी भूले नहीं
उनकी यादों में खोकर हम
खुद को भी खोते रहे।
मं शर्मा( रज़ा)
#स्वरचित
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