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अभी रूखसत हुई है रूह तन से
कुछ देर अभी मातम होगा
कल दफ्न हो जाएंगी यादें सभी
याद करने वाला तुझे न कोई होगा
आज भर की रवायतें हैं सभी
कल न ज़िक्र न आहों का सिलसिला होगा।
मं शर्मा (रज़ा)
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