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जिंदगी की धूप छाँव से
मुरझा कर सूख गई हूँ
बेदम हूँ पर डटी हुई हूँ
मैं वो आखिरी पत्ती हूँ
जो अब तक शाख से
जुड़ी हुई हूँ
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जिंदगी की धूप छाँव से
मुरझा कर सूख गई हूँ
बेदम हूँ पर डटी हुई हूँ
मैं वो आखिरी पत्ती हूँ
जो अब तक शाख से
जुड़ी हुई हूँ
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