
Share0 Bookmarks 10 Reads0 Likes
दर्द से समझौता कर लेता
पतझड़ को बहार कर देता
तुम अगर मेरे साथ होते
समय से भी मैं लड़ लेता
दुनिया चाहे कुछ भी कहती
मुहब्बत को खुदा कह देता
तुम जो मेरे साथ होते
काफिर बन के भी जी लेता ।
मं शर्मा (रज़ा)
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments